Synchronous Motor as Synchronous Condenser in Hindi: परिभाषा, कार्य और उपयोग
इस लेख में हम जानेंगे "synchronous motor as synchronous condenser” यानी कि सिंक्रोनस मोटर को सिंक्रोनस कंडेंसर के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जाता है। यहां हम सिंक्रोनस कंडेंसर की परिभाषा, इसकी डिज़ाइन और काम करने का सिद्धांत समझेंगे। साथ ही, हम सिंक्रोनस कंडेंसर और कैपेसिटर बैंक के बीच का अंतर, फेजर डायग्राम और इसके लाभ-हानियों पर भी चर्चा करेंगे। अंत में, Synchronous Condenser के प्रमुख उपयोग पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
Synchronous Condenser क्या होता है? सिंक्रोनस कंडेंसर की परिभाषा
Synchronous condenser को हमने point wise लिखा है ताकि इसे समझने में आसानी हो —
- यह एक सिंक्रोनस मोटर होता है, ये किसी mechanical लोड को नहीं चलाता।
- जब भी सिंक्रोनस मोटर over-excitation पर बिना लोड की स्थिति में चलाया जाता है, तो ये लीडिंग पावर फैक्टर देता है। इसे ही synchronous condenser कहते हैं।
- सिंक्रोनस कंडेंसर को power factor के किसी भी range में excited किया जाता सकता है।
- इसका उपयोग पावर फैक्टर करेक्शन (power factor correction) के लिए होता है।
- ये पावर ग्रिड के पावर फैक्टर को सुधरता है।
- ये बिना मैकेनिक लोड के यानी बिना लोड के चलता है इसलिए हम इसे compensator या कैपेसिटर भी कहते हैं।
- इसे वोल्टेज रेगुलेशन के लिए उपयोग किया जाता है।
- Synchronous condenser का उपयोग औद्योगिक क्षेत्र में, communication लाइन में, पावर फैक्टर को सुधारने के लिए किया जाता है।
सिंक्रोनस कंडेंसर का निर्माण / संरचना
सिंक्रोनस कंडेंसर का निर्माण कई भागों से मिलकर बनी होती है, जैसे कि स्टेटर, रोटर, एक्साइटर, और amortisseur winding। इसे इस तरह निर्माण किया जाता है कि जब यह चालू होता है, तो शुरुआत में यह एक इंडक्शन मोटर की तरह काम करता है।
ये कई हिस्सों से मिलकर बनी होती है, जैसे स्टेटर, रोटर, एक्साइटर, अमोर्टिसर विंडिंग (amortisseur winding), और फ्रेम। इसमें इस्तेमाल होने वाली सिंक्रोनस मोटर में 3-फेज़ का स्टेटर होता है, जो इंडक्शन मोटर की तरह काम करता है। शुरुआत में यह मोटर अमोर्टिसर विंडिंग की मदद से इंडक्शन मोटर के रूप में काम करती है, जिससे इसे स्टार्टिंग टॉर्क मिल सके।
इसके बाद, मोटर के रोटर पर DC सप्लाई की जाती है, जिसे एक्साइटर कहा जाता है, और यह रोटर के शाफ्ट पर लगा होता है। रोटर के पोल्स की संख्या स्टेटर के पोल्स के बराबर होती है, और इसे डायरेक्ट करंट (DC) से चलाया जाता है। जब रोटर में करंट प्रवाहित होता है, तो यह रोटर के पोल्स में नॉर्थ-साउथ मैग्नेटिक पोल्स बनाता है। इससे रोटर स्टेटर के फ्लक्स के साथ तालमेल बिठा लेता है और "लॉक इन स्टेप" की स्थिति में आ जाता है, जिससे मोटर चलने लगती है। इसका फ्रेम मशीन का बाहरी हिस्सा होता है, जो कास्ट आयरन से बना होता है।
सिंक्रोनस कंडेनसर कैसे काम करता है?
सिंक्रोनस कंडेंसर का कार्य (synchronous condenser working principle) लगभग सिंक्रोनस मोटर के कार्य जैसा होता है। इसका संचालन मोटर के मोशनल ईएमएफ (EMF) पर आधारित होता है, जिसमें चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव एक कंडक्टर को घुमाने के लिए उपयोग किया जाता है। चुंबकीय क्षेत्र बनाने के लिए दो तरीके होते हैं: पहला, 3-फेज़ एसी (AC) सप्लाई और दूसरा डीसी (DC) सप्लाई, जो स्टेटर को दी जाती है।
सिंक्रोनस मोटर को चालू रखने और इसे सिंक्रोनस गति पर चलाने के लिए इन दोनों तरीकों से एक्साइटेशन दिया जाता है। मोटर चुंबकीय क्षेत्र इंटरलॉकिंग के ज़रिए काम करती है, जो स्टेटर और डीसी फील्ड वाइंडिंग से उत्पन्न होता है। जब डीसी फील्ड एक्साइटेशन को बदलते हैं, तो मोटर विभिन्न मोड्स में काम करती है। सिंक्रोनस कंडेंसर के कार्य के ये मोड्स निम्नलिखित हैं:—
- अंडर-एक्साइटेड मोड: जब डीसी सप्लाई को थोड़ा कम किया जाता है, तो आर्मेचर करंट कम हो जाता है और स्टेटर कम करंट का उपयोग चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न करने में करता है। इस स्थिति में मोटर कम रिएक्टिव करंट लेती है, जिसे अंडर-एक्साइटेड मोड कहा जाता है।
- नॉर्मल-एक्साइटेड मोड: जब डीसी फील्ड एक्साइटेशन को और बढ़ाया जाता है, तो एक बिंदु आता है जहाँ आर्मेचर करंट सबसे कम हो जाता है, और मोटर Unity Power Factor पर काम करने लगती है। इस अवस्था में फील्ड एक्साइटेशन की सारी ज़रूरतें डीसी स्रोत से पूरी हो जाती हैं। इसे नॉर्मल-एक्साइटेड मोड कहा जाता है।
- ओवर-एक्साइटेड मोड: जब डीसी फील्ड एक्साइटेशन को और अधिक बढ़ाया जाता है, तो चुंबकीय फ्लक्स ज़्यादा बनने लगता है, और इसे संतुलित करने के लिए स्टेटर रिएक्टिव पावर देना शुरू करता है। इस स्थिति में मोटर लीडिंग करंट लेती है और रिएक्टिव पावर सप्लाई करती है। इसे ओवर-एक्साइटेड मोड कहा जाता है।
सिंक्रोनस कंडेंसर और कैपेसिटर बैंक में क्या अंतर है?
सिंक्रोनस कंडेंसर और कैपेसिटर बैंक में निम्नलिखित अंतर, जो कि मेने इस तालिका के अंदर लिखा है ―
सिंक्रोनस कंडेंसर | कैपेसिटर बैंक |
---|---|
यह एक डीसी-उत्तेजित सिंक्रोनस मोटर है, जिसका उपयोग पावर फैक्टर सुधारने और ट्रांसमिशन लाइनों में पावर फैक्टर सुधार के लिए किया जाता है। |
कैपेसिटर बैंक कैपेसिटर्स का एक सेट होता है, जो श्रृंखला (सीरीज़) या समानांतर (पैरलल) संयोजन में जुड़ा होता है। यह मुख्यतः पावर फैक्टर सुधार और रिएक्टिव पावर क्षतिपूर्ति के लिए उपयोग होता है। |
इसे सिंक्रोनस कम्पेसेंटर या सिंक्रोनस कैपेसिटर भी कहा जाता है। | इसे कैपेसिटर यूनिट भी कहा जाता है। |
स्थिर कैपेसिटर बैंक की तरह नहीं, सिंक्रोनस कंडेंसर से मिलने वाली रिएक्टिव पावर की मात्रा को लगातार समायोजित किया जा सकता है। | स्थिर कैपेसिटर बैंक से मिलने वाली रिएक्टिव पावर तब घट जाती है जब ग्रिड वोल्टेज घटता है, जबकि सिंक्रोनस कंडेंसर वोल्टेज घटने पर रिएक्टिव पावर बढ़ा देता है। |
सिंक्रोनस कंडेंसर की आयु कैपेसिटर बैंक की तुलना में अधिक होती है। | कैपेसिटर बैंक की आयु कम होती है। |
उच्च वोल्टेज प्रणाली में यह बेहतर प्रदर्शन करता है। | उच्च वोल्टेज प्रणाली में इसका प्रदर्शन कम होता है। |
यह कैपेसिटर बैंक की तुलना में महंगा होता है। | यह अधिक किफायती होता है। |
सिंक्रोनस कंडेंसर का फेजर डायग्राम
ऊपर एक synchronous condenser phasor diagram दिया गया है, जिसमें विभिन्न पावर और करंट संबंधी तत्वों को दर्शाया गया है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:—- Φ1 और Φ2 (फेज़ एंगल्स): ये कोण मोटर के अंदर होने वाली प्रतिक्रियाओं के फेज एंगल को दर्शाते हैं। Φ1 और Φ2 में अंतर आर्मेचर करंट और एक्साइटेशन के बीच के रिलेशन को दर्शाता है।
- I (Current): यह करंट को दर्शाता है जो मोटर के अंदर फ्लो करता है। इस करंट का संबंध वोल्टेज और मोटर के फील्ड एक्साइटेशन से होता है।
- PL, Pm, Prl: ये पॉवर को दर्शाने वाले विभिन्न वेक्टर हैं।
- PL: यह लोड पावर को दर्शाता है जो मोटर पर काम करता है।
- Pm: यह मैकेनिकल पावर को दिखाता है।
- Prl: यह रिएक्टिव पावर को दर्शाता है जो मोटर द्वारा खींची जाती है।
- Prl - Prm (पावर डिफरेंस): यह अंतर दर्शाता है कि मोटर द्वारा कितनी रिएक्टिव पावर का उपयोग किया जा रहा है और इससे कितना मैकेनिकल पावर उत्पन्न हो रहा है।
यह फेज़र डायग्राम सिंक्रोनस कंडेंसर के विभिन्न पावर व करंट संबंधी संबंधों को स्पष्ट करता है, जिसमें लोड पावर, रिएक्टिव पावर, और मैकेनिकल पावर का वर्णन शामिल है।
सिंक्रोनस कंडेंसर के लाभ और हानि
Synchronous condenser के लाभ को निम्नलिखित तरीके से जाना सकते हैं ―
- यह मशीन सिस्टम को अधिक स्थिर बनाती है, जिससे अचानक आने वाली गड़बड़ियों का असर कम होता है।
- इसमें शॉर्ट-टर्म ओवरलोड क्षमता होती है, जिससे थोड़े समय के लिए अधिक लोड लिया जा सकता है।
- यह कम वोल्टेज पर भी ठीक से काम करता है, जिससे वोल्टेज में अचानक गिरावट का असर नहीं पड़ता।
- इसकी प्रतिक्रिया समय काफी कम होता है, जिससे यह जल्दी से वोल्टेज में बदलाव को संभाल सकता है।
- यह सिस्टम को शॉर्ट-सर्किट के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।
- इसमें हार्मोनिक्स की समस्या नहीं होती, जो बिजली की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।
- इसमें प्रतिक्रियाशील शक्ति को लगातार समायोजित किया जा सकता है।
- इसे नियमित रूप से मेंटेनेंस की आवश्यकता नहीं होती।
- इसमें उच्च स्तर की सुरक्षा बनी रहती है।
- इसकी लाइफटाइम काफी लंबी होती है, जिससे यह लंबे समय तक उपयोगी रहता है।
- फॉल्ट्स को आसानी से हटाया जा सकता है – इसमें किसी भी खराबी को जल्दी और आसानी से दूर किया जा सकता है।
- मोटर के फील्ड एक्साइटेशन को बदलकर करंट की मात्रा आसानी से बदली जा सकती है, जिससे स्टेपलेस पावर फैक्टर कंट्रोल किया जा सकता है।
- मोटर की वाइंडिंग्स में शॉर्ट-सर्किट करंट के लिए थर्मल स्थिरता उच्च होती है।
Synchronous condenser के हानि या दोष को निम्नलिखित तरीके से जाना सकते हैं —
- इसका starting torque शून्य (0) होता है। अर्थत यह self started नहीं है इसलिए इसे भार पर start नही किया जा सकता है।
- इसके प्रचालन के लिए दो तरह की सप्लाई सिस्टम की जरूरत होती है। इसमें AC सप्लाई तथा DC सप्लाई की आवश्यकता होती है।
- इसमें slip ring और brushes की जरूरत होती हैं।
- यह हंटिंग (hunting) के प्रभाव से मुक्त नहीं होता है।
- इसके संचालन के दौरान शोर होता है, जो कभी-कभी परेशानी पैदा कर सकता है।
- ठंडा रखने के लिए लगातार कूलिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है।
- खुद से शुरू करने की क्षमता नहीं होती, इसलिए इसे शुरू करने के लिए अतिरिक्त उपकरणों की आवश्यकता होती है।
Synchronous Condenser का उपयोग
सिंक्रोनस कंडेंसर के उपयोग को आप नीचे पढ़कर समझ सकते हैं ―
- एचवीडीसी (HVDC), पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा के लिए – इसका इस्तेमाल उच्च वोल्टेज डायरेक्ट करंट (HVDC) सिस्टम, पवन और सौर ऊर्जा स्रोतों में किया जाता है ताकि ग्रिड को सपोर्ट और रेगुलेट किया जा सके।
- वोल्टेज स्थिरता और नियंत्रण – इसे ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन वोल्टेज स्तरों पर इस्तेमाल किया जाता है ताकि लोड बदलने और आपात स्थितियों में वोल्टेज स्थिर बना रहे और उसे नियंत्रित किया जा सके।
- लंबी ट्रांसमिशन लाइनों में – यह लंबी ट्रांसमिशन लाइनों में वोल्टेज नियंत्रण के लिए उपयोग होता है, खासकर उन लाइनों के लिए जिनका इंडक्टिव रिएक्टेंस और रेजिस्टेंस का अनुपात ज्यादा होता है।
- पावर फैक्टर सुधार के लिए – इसका उपयोग ट्रांसमिशन लाइनों में पावर फैक्टर सुधारने और उसे सही रखने के लिए किया जाता है।
- हाइब्रिड एनर्जी सिस्टम में – यह हाइब्रिड ऊर्जा प्रणालियों में भी उपयोग किया जाता है।
- वोल्टेज नियंत्रण के लिए वेरिएबल कैपेसिटर या इंडक्टर – यह पावर ट्रांसमिशन सिस्टम में वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए वेरिएबल कैपेसिटर या वेरिएबल इंडक्टर की तरह काम करता है।
आपने पूछा, हमने जवाब दिया (You Asked, We Answered)
Q. सिंक्रोनस मोटर को सिंक्रोनस कंडेनसर के रूप में कैसे उपयोग किया जाता है?
सिंक्रोनस मोटर को सिंक्रोनस कंडेंसर (synchronous motor as synchronous condenser) के रूप में उपयोग करने के लिए उसकी शाफ्ट को किसी यांत्रिक लोड से नहीं जोड़ा जाता। इस स्थिति में, मोटर मुख्य रूप से प्रतिक्रियाशील शक्ति (reactive power) को नियंत्रित करने का काम करती है। जब मोटर को ओवर-एक्साइट किया जाता है, तो यह ग्रिड में आवश्यक प्रतिक्रियाशील शक्ति प्रदान करती है, जिससे वोल्टेज नियंत्रण और पावर फैक्टर सुधार होता है। इसका उपयोग विशेष रूप से पावर सिस्टम में वोल्टेज स्थिरता बनाए रखने और लंबी ट्रांसमिशन लाइनों में वोल्टेज को स्थिर रखने के लिए किया जाता है।
Q. सिंक्रोनस कंडेंसर क्या है?
ये एक सिंक्रोनस मोटर ही होता है जो मुख्य रूप से बिजली व्यवस्था में रिएक्टिव पावर को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाती है। यह मोटर की तरह ही काम करता है, लेकिन इसमें कोई लोड नहीं जुड़ा होता। इसे सिस्टम में रिएक्टिव पावर जोड़ने या हटाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे वोल्टेज का स्तर स्थिर रहता है।
Q. किस सिंक्रोनस मोटर को सिंक्रोनस कैपेसिटर कहा जाता है?
Synchronous condenser, जो बिना लोड के रिएक्टिव पावर को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाती है, सिंक्रोनस कैपेसिटर कहलाता है। यह मोटर बिजली प्रणाली में रिएक्टिव पावर सप्लाई करती है और पावर फैक्टर को सुधारने में मदद करती है। इसे अक्सर वोल्टेज स्थिरता बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे कि एक कैपेसिटर करता है, इसलिए इसे सिंक्रोनस कैपेसिटर कहा जाता है।
Q. सिंक्रोनस कंडेंसर के स्टार्टिंग विधियाँ क्या हैं?
सिंक्रोनस कंडेंसर के स्टार्टिंग के लिए मुख्यतः निम्नलिखित विधियाँ उपयोग की जाती हैं —
- इंडक्शन स्टार्टिंग: इस विधि में, सिंक्रोनस कंडेंसर को पहले एक इंडक्शन मोटर की तरह चालू किया जाता है। इसे अमोर्टिसर विंडिंग का उपयोग करके स्टार्ट किया जाता है, जिससे इसे आवश्यक टॉर्क मिलता है।
- फ्लोटिंग स्टार्टिंग: इस विधि में, कंडेंसर को बिना किसी लोड के चालू किया जाता है। इसे स्टेटर में 3-फेज़ AC सप्लाई देकर प्रारंभ किया जाता है, जिससे यह अपने चालू होने पर रोटर के साथ तालमेल बिठा लेता है।
- DC एक्साइटर के साथ स्टार्टिंग: इसमें, रोटर की फील्ड विंडिंग में DC सप्लाई दी जाती है। यह विधि कंडेंसर को स्थिरता प्रदान करती है और इसे जल्दी चालू करने में मदद करती है।
इन विधियों से सिंक्रोनस कंडेंसर को प्रभावी तरीके से चालू किया जा सकता है।
इस कंटेंट को पढ़कर आपको “synchronous motor as synchronous condenser in hindi” की जानकारी मिल गई होगी। अगर आपका कोई सवाल है या किसी खास टॉपिक पर कंटेंट चाहिए, तो आप कमेंट के माध्यम से inform करें।