SYNCHRONOUS MOTOR IN HINDI: परिभाषा, निर्माण, विशेषताएं और कार्य सिद्धांत
synchronous motor क्या है? इसका निर्माण कैसे होता है, इसकी प्रमुख विशेषताएं क्या हैं, और यह मोटर किस सिद्धांत पर काम करती है? (working principle in hindi) इन सभी सवालों के जवाब आपको इसी लेख में आगे देखने को मिलेंगे।
Synchronous Motor क्या है?
सिंक्रोनस मोटर एक विशेष प्रकार की इलेक्ट्रिक AC (Alternating Current) मोटर होती है। इसका रोटर (घूमने वाला हिस्सा) और स्टेटर (स्थिर हिस्सा) हमेशा एक ही स्पीड से चलते हैं, यानी इनकी गति हमेशा सिंक्रोनाइज (समान) रहती है। इसलिए इसे "synchronous motor" कहा जाता है। इस मोटर की खासियत ये है कि यह विद्युत ऊर्जा को घूर्णन शक्ति (रोटेशनल पावर) में बदल देता है।
Synchronous motor को दो भोगों में बांटा गया है एक को non-excited और दूसरे को excited सिंक्रोनस मोटर के नाम से जाना जाता है। Non-excited मोटर में रोटर चुंबकीय क्षेत्र के साथ मेल खाकर खुद-ब-खुद घूमता है, जबकि excited मोटर को रोटर घूमने के लिए बाहरी DC पावर की जरूरत होती है।
सिंक्रोनस मोटर की बनावट (निर्माण)
मोटर की निर्माण प्रक्रिया या बनावट इस प्रकार से है ―
- स्टेटर (Stator):
- यह मोटर का स्थिर हिस्सा होता है, जो सिलिकॉन-स्टील की स्टैम्पिंग से बना होता है और इसमें अंदरूनी स्लॉट्स होते हैं।
- स्टेटर वाइंडिंग (Stator Winding):
- यह एक 3-फेज स्टार या डेल्टा कनेक्टेड सुपर-इनेमल्ड कॉपर वाइंडिंग होती है, जिसे स्टेटर के स्लॉट्स में डाला जाता है।
- रोटर (Rotor):
- रोटर एक सिलिंड्रिकल भाग होता है, जिसकी सतह पर पोल्स (Poles) होते हैं। यह भी सिलिकॉन-स्टील स्टैम्पिंग से बना होता है।
- रोटर वाइंडिंग (Rotor Winding):
- रोटर के पोल्स पर इनेमल्ड कॉपर वाइंडिंग डाली जाती है, जिसे Exciter से मिलने वाली DC सप्लाई द्वारा excited किया जाता है।
- Exciter:
- यह एक छोटा-क्षमता वाला DC शंट जनरेटर होता है, जो आमतौर पर रोटर के शाफ्ट पर लगाया जाता है। जब रोटर घूमता है, तो यह जनरेटर DC सप्लाई उत्पन्न करता है, जिसे रोटर वाइंडिंग में भेजा जाता है।
- स्लिप-रिंग्स और ब्रशेस (Slip-rings and Brushes):
- शाफ्ट पर दो फॉस्फर ब्रॉन्ज से बने स्लिप-रिंग्स लगे होते हैं, जिनसे दो कार्बन ब्रशेस जुड़े होते हैं। इस सिस्टम के जरिए, रोटर को Exciter से प्राप्त DC सप्लाई दी जाती है।
यह निर्माण प्रक्रिया सिंक्रोनस मोटर को सही ढंग से चलाने के लिए आवश्यक है।
Synchronous Motor की विशेषताएं
- सिंक्रोनस मोटर अपने आप शुरू नहीं हो पाती क्योंकि इसकी शुरुआती गति बहुत कम होती है, जिससे यह चुंबकीय क्षेत्र से तालमेल नहीं बिठा पाती। इसे चालू करने के लिए बाहरी साधन की जरूरत होती है, जो इसकी गति को सिंक्रोनस गति के करीब लाता है।
- बाहरी मदद से जब मोटर की गति पर्याप्त हो जाती है, तब इसका रोटर स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्र के साथ तालमेल बिठाकर सिंक्रोनाइज़ हो जाता है और मोटर स्थिर गति से चलने लगती है।
- इसकी गति सप्लाई की आवृत्ति के साथ तालमेल में होती है। इसलिए, यदि सप्लाई आवृत्ति स्थिर रहती है, तो यह मोटर किसी भी लोड की स्थिति में स्थिर गति से चलती है।
- इस मोटर की खासियत यह है कि यह किसी भी विद्युत पावर फैक्टर पर काम कर सकती है। यही कारण है कि इसका उपयोग विद्युत पावर फैक्टर सुधारने के लिए किया जाता है।
सिंक्रोनस मोटर के कार्य सिद्धांत (Synchronous Motor Working Principle in Hindi)
सिंक्रोनस मोटर एक प्रकार की एसी (AC) मोटर होती है, जिसमें रोटर और स्टेटर होते हैं। इस मोटर का मुख्य सिद्धांत यह है कि रोटर की गति (speed) हमेशा स्टेटर द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) की गति के बराबर रहती है। इसे हम "सिंक्रोनस गति" कहते हैं।
कैसे काम करती है —
- स्टेटर (स्थिर भाग): स्टेटर मोटर का बाहरी हिस्सा होता है, जिसमें एसी करंट प्रवाहित किया जाता है। जब इसमें एसी करंट बहता है, तो एक घूर्णनशील चुंबकीय क्षेत्र बनता है। यह चुंबकीय क्षेत्र एक स्थिर गति से घूमता है, जिसे हम सिंक्रोनस गति कहते हैं। इस गति का निर्धारण मुख्य रूप से आपूर्ति की गई विद्युत धारा की आवृत्ति (frequency) और पोल की संख्या से होता है।
- रोटर (घूर्णनशील भाग): रोटर मोटर का वो हिस्सा होता है जो घूमता है। रोटर में डीसी (DC) करंट दिया जाता है, जिससे यह स्थायी चुंबकीय क्षेत्र (permanent magnetic field) बना लेता है। जब यह चुंबकीय क्षेत्र स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्र से तालमेल में आता है, तो रोटर उसी गति से घूमने लगता है, जिससे स्टेटर का चुंबकीय क्षेत्र घूम रहा होता है।
इसे हम आसान शब्दों में समझाने की कोशिश करते हैं –
- स्टेटर में जब AC करंट पास होता है, तो वह एक घूमता हुआ चुंबकीय क्षेत्र बनाता है।
- रोटर को DC सप्लाई दी जाती है, जिससे उसका अपना चुंबकीय क्षेत्र बनता है।
- रोटर और स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्रों का तालमेल (synchronize) होने के बाद, रोटर भी स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्र के साथ एक ही गति से घूमने लगता है।
इस प्रकार रोटर की गति हमेशा स्टेटर की चुंबकीय गति के बराबर होती है, और इसे synchronous motor कहा जाता है।
मुख्य बिंदु:-
- इस मोटर की खासियत यह है कि इसकी गति हमेशा स्थिर रहती है और यह किसी भी भार पर सीधा स्टेटर की गति के अनुसार चलती है।
- यह मुख्यतः उन जगहों पर उपयोग की जाती है जहां स्थिर गति की आवश्यकता होती है, जैसे बड़े पंप, कंप्रेसर, और अन्य मशीनरी।